खिलौनों में उपयोग होने वाले खतरनाक रसायनों से बचाव कैसे करें

खिलौनों में उपयोग होने वाले खतरनाक रसायनों से बचाव कैसे करें

विषय सूची

1. खिलौनों में मिलावट वाले रसायनों की पहचान

भारतीय बाजार में आमतौर पर पाए जाने वाले खतरनाक रसायन

भारत में मिलने वाले कई खिलौने ऐसे होते हैं जिनमें हानिकारक रसायनों की मिलावट हो सकती है। ये रसायन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। निम्नलिखित तालिका में कुछ सामान्य खतरनाक रसायनों और उनकी विशेषताओं की जानकारी दी गई है:

रसायन का नाम खिलौनों में उपयोग पहचान के तरीके
सीसा (Lead) रंगीन खिलौनों, पेंटेड सतहों में अत्यधिक चमकीले रंग, सस्ता या स्थानीय ब्रांड, BIS मार्क न हो
फ्थेलेट्स (Phthalates) प्लास्टिक व रबर के खिलौनों को मुलायम बनाने के लिए बहुत मुलायम प्लास्टिक, तेज गंध, बिना लेबलिंग के उत्पाद
कैडमियम (Cadmium) सस्ती धातु की वस्तुएं या गहनों जैसे खिलौनों में हल्का पीला या ग्रे रंग, बहुत हल्की धातु, ब्रांडेड न हो

इन रसायनों को कैसे पहचाने?

  • हमेशा खिलौने खरीदते समय BIS (Bureau of Indian Standards) मार्क देखें।
  • बिना लेबल, ब्रांड या सुरक्षा जानकारी के खिलौने न खरीदें।
  • बहुत सस्ते और सड़क किनारे बिकने वाले खिलौनों से बचें क्योंकि इनमें खतरनाक रसायन होने की संभावना ज्यादा रहती है।
  • अगर खिलौना बहुत तेज गंध करता है या रंग उंगलियों पर चढ़ता है तो उसे तुरंत अलग कर दें।
ध्यान रखें:

बच्चों के लिए खिलौना चुनते समय उसकी गुणवत्ता और सुरक्षा सर्वोपरि रखें। हमेशा प्रमाणित और भरोसेमंद दुकानों से ही खिलौने खरीदें ताकि आपके बच्चे सुरक्षित रहें।

2. विश्वसनीय ब्रांड्स और ISI मार्क चुनना

खिलौनों में सुरक्षा क्यों ज़रूरी है?

जब भी आप अपने बच्चों के लिए खिलौने खरीदते हैं, तो उनकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है। बाज़ार में कई तरह के खिलौने उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ खिलौनों में हानिकारक रसायन हो सकते हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसलिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आप कौन सा खिलौना चुन रहे हैं।

ISI और BIS प्रमाणित उत्पादों की पहचान कैसे करें?

भारत में खिलौनों की गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए ISI (Indian Standards Institute) और BIS (Bureau of Indian Standards) सर्टिफिकेशन बहुत महत्वपूर्ण है। ये मार्क यह सुनिश्चित करते हैं कि खिलौने मानकों के अनुसार सुरक्षित हैं और उनमें कोई खतरनाक रसायन नहीं है।

प्रमुख पहचान:

प्रमाणन क्या दर्शाता है?
ISI मार्क यह भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सुरक्षा चिह्न है। ISI मार्क का मतलब है कि खिलौना भारतीय मानकों पर खरा उतरा है।
BIS सर्टिफिकेट नंबर हर प्रमाणित उत्पाद पर एक यूनिक BIS नंबर होता है, जिससे उसकी प्रामाणिकता पता चलती है।

भरोसेमंद ब्रांड्स का चयन क्यों करें?

विश्वसनीय या प्रसिद्ध ब्रांड्स अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा का खास ध्यान रखते हैं। ऐसे ब्रांड्स आमतौर पर ISI या BIS प्रमाणित खिलौने ही बाजार में लाते हैं, जिससे आपके बच्चे सुरक्षित रहते हैं।

ब्रांड चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें:

  • हमेशा ब्रांडेड दुकानों या अधिकृत विक्रेताओं से ही खिलौने खरीदें।
  • पैकेजिंग पर ISI मार्क या BIS सर्टिफिकेट नंबर जांच लें।
  • लोकल या बिना नाम वाले सस्ते खिलौनों से बचें, क्योंकि इनमें हानिकारक रसायन होने की संभावना अधिक होती है।
संक्षिप्त सुझाव तालिका:
क्या करें? क्या न करें?
ISI/BIS प्रमाणित खिलौने ही खरीदें बिना मार्क वाले खिलौनों से बचें
भरोसेमंद ब्रांड्स को प्राथमिकता दें अनजाने लोकल ब्रांड्स न चुनें

इस तरह, जब भी आप बाजार से खिलौने खरीदें, तो ISI और BIS प्रमाणित उत्पादों को प्राथमिकता दें, और भरोसेमंद ब्रांड्स के खिलौनों का ही चयन करें। इससे आप अपने बच्चों को खतरनाक रसायनों से सुरक्षित रख सकते हैं।

स्थानीय हस्तनिर्मित खिलौनों को प्राथमिकता देना

3. स्थानीय हस्तनिर्मित खिलौनों को प्राथमिकता देना

जब हम अपने बच्चों के लिए खिलौने चुनते हैं, तो यह जरूरी है कि वे सुरक्षित और रसायन-मुक्त हों। भारत में स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए लकड़ी, कपड़े या मिट्टी के खिलौने इस मामले में एक बेहतरीन विकल्प साबित होते हैं। इन खिलौनों में आमतौर पर हानिकारक रसायनों की मिलावट कम होती है, क्योंकि इन्हें प्राकृतिक और पारंपरिक तरीकों से बनाया जाता है।

भारतीय हस्तनिर्मित खिलौनों के फायदे

खिलौने का प्रकार रसायनों की संभावना सुरक्षा स्तर पर्यावरण के लिए लाभ
लकड़ी के खिलौने बहुत कम उच्च जैविक रूप से विघटनीय
कपड़े के खिलौने कम मध्यम से उच्च प्राकृतिक सामग्री का उपयोग
मिट्टी के खिलौने नगण्य उच्च (टूटने पर ध्यान दें) प्राकृतिक संसाधन से बने

स्थानीय खिलौनों को अपनाने के तरीके

  • स्थानीय बाजारों या मेलों में जाकर सीधे कारीगरों से खरीदारी करें।
  • ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भारतीय हस्तनिर्मित खिलौनों की तलाश करें।
  • ऐसे खिलौनों को चुनें जिनमें रंगाई प्राकृतिक हो और पॉलिशिंग के लिए सुरक्षित तेल या वैक्स का प्रयोग किया गया हो।
  • बच्चों को बताएं कि ये खिलौने कैसे बनाए जाते हैं, जिससे वे भी भारतीय कला और संस्कृति से जुड़ाव महसूस करें।
ध्यान रखने योग्य बातें:
  • हमेशा सुनिश्चित करें कि खिलौना अच्छी तरह से घिसा हुआ और बिना नुकीले किनारों वाला हो।
  • अगर बच्चा बहुत छोटा है, तो छोटे हिस्सों वाले खिलौने न लें ताकि निगलने का खतरा न हो।
  • हस्तनिर्मित खिलौनों पर लगे रंग प्राकृतिक हों, इसके बारे में विक्रेता से जरूर पूछें।

इस तरह आप स्थानीय भारतीय कारीगरों द्वारा बनाए गए सुरक्षित और रसायन-मुक्त खिलौनों को प्राथमिकता देकर अपने बच्चों की सुरक्षा के साथ-साथ देशी शिल्पकारों को भी प्रोत्साहित कर सकते हैं।

4. खिलौनों की देखभाल और साफ-सफाई

खिलौनों की नियमित रूप से सफाई करें

बच्चों के खिलौने रोज़ाना धूल, गंदगी और बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं। अगर इनकी सफाई ठीक से नहीं की जाए तो इनमें खतरनाक रसायन या कीटाणु जमा हो सकते हैं, जिससे बच्चों की सेहत पर असर पड़ सकता है। इसलिए, खिलौनों को हर हफ्ते हल्के गरम पानी और माइल्ड साबुन से अच्छी तरह धोएं। सॉफ्ट टॉयज को समय-समय पर धूप में सुखाना भी फायदेमंद होता है।

बच्चों को मुंह में खिलौना डालने से रोकें

छोटे बच्चे अक्सर खिलौने अपने मुंह में डाल लेते हैं। इससे वे न सिर्फ गंदगी बल्कि खिलौनों में मौजूद हानिकारक रसायन भी निगल सकते हैं। माता-पिता बच्चों को बार-बार समझाएं कि खिलौनों को मुंह में डालना सुरक्षित नहीं है। छोटे बच्चों के लिए ऐसे खिलौने चुनें जो बड़े आकार के हों और जिनमें तेज किनारे या छोटे हिस्से न हों।

उपयोग से पहले खिलौनों को अच्छे से धोएं

नई दुकान से लाए गए खिलौनों पर भी कई बार केमिकल्स या डस्ट होती है। हर नए खिलौने को बच्चों को देने से पहले उसे अच्छी तरह साबुन-पानी से धो लें या क्लीनिंग वाइप्स से साफ कर लें। इससे किसी भी तरह का अवांछित रसायन हट जाता है और बच्चा सुरक्षित रहता है।

खिलौनों की साफ-सफाई के आसान तरीके

खिलौने का प्रकार सफाई का तरीका
प्लास्टिक/रबर के खिलौने गरम पानी और माइल्ड साबुन से धोएं
सॉफ्ट टॉयज (कपड़े वाले) वॉशिंग मशीन में या हाथ से हल्के डिटर्जेंट से धोएं
लकड़ी के खिलौने गीले कपड़े से पोंछें, ज्यादा न भिगोएं
ध्यान रखने योग्य बातें
  • हर सफाई के बाद खिलौनों को अच्छी तरह सुखाएं ताकि उनमें फफूंदी न लगे।
  • ऐसे कोई भी खिलौने जिनमें दरारें आ गई हों या टूट गए हों, तुरंत अलग कर दें क्योंकि उनमें गंदगी जमा हो सकती है।

5. रसायनों से सुरक्षा के लिए अभिभावक जागरूकता

अभिभावकों/माता-पिता को क्यों जागरूक रहना चाहिए?

आजकल बाजार में मिलने वाले कई खिलौनों में ऐसे खतरनाक रसायन हो सकते हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसलिए माता-पिता का जागरूक रहना बेहद जरूरी है।

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव

रसायन का नाम संभावित प्रभाव
सीसा (Lead) मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नुकसान, व्यवहार संबंधी समस्याएँ
फथलेट्स (Phthalates) हार्मोनल असंतुलन, प्रजनन संबंधी समस्याएँ
बिस्फेनोल ए (BPA) अंतःस्रावी तंत्र पर असर, कैंसर का खतरा
कैडमियम (Cadmium) गुर्दे की समस्या, हड्डियों में कमजोरी

खिलौनों की गुणवत्ता की जाँच कैसे करें?

  • IS 9873 मार्क या BIS प्रमाणित खिलौने खरीदें।
  • खिलौने की पैकेजिंग पर लिखे रसायनों को पढ़ें।
  • तेज गंध या रंगीन पेंट वाले खिलौनों से बचें।
  • स्थानीय दुकानदार से प्रमाणपत्र या जानकारी मांगें।

संदिग्ध खिलौनों की शिकायत कहाँ दर्ज करें?

अगर आपको किसी खिलौने में खतरनाक रसायन होने का संदेह हो, तो आप निम्नलिखित जगहों पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

  • स्थानीय उपभोक्ता संरक्षण कार्यालय
  • BIS हेल्पलाइन (भारतीय मानक ब्यूरो)
  • राज्य के स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन कार्यालय
  • ऑनलाइन पोर्टल: https://consumerhelpline.gov.in
ध्यान रखने योग्य बातें:
  • हर बार नया खिलौना खरीदने से पहले उसके लेबल और सामग्री को जरूर पढ़ें।
  • बच्चों को सिखाएँ कि वे किसी भी अजीब गंध या टूटे हुए खिलौने का इस्तेमाल न करें।
  • यदि कोई स्वास्थ्य समस्या दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • समुदाय में अन्य अभिभावकों को भी जागरूक करें ताकि सभी बच्चों की सुरक्षा हो सके।