भारत की टीकाकरण समय-सारणी: जन्म से लेकर पाँच वर्षों तक

भारत की टीकाकरण समय-सारणी: जन्म से लेकर पाँच वर्षों तक

विषय सूची

1. भारत में टीकाकरण का महत्व

भारत में बच्चों का स्वास्थ्य और सुरक्षा परिवारों के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है। जन्म से लेकर पाँच वर्षों की उम्र तक बच्चों को कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण (Vaccination) बहुत जरूरी है। यह ना केवल बच्चे के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।

टीकाकरण क्यों ज़रूरी है?

भारत में कई ऐसी बीमारियाँ हैं जो आसानी से फैल सकती हैं, जैसे पोलियो, खसरा (Measles), डिप्थीरिया, काली खांसी (Pertussis), टिटनेस, हेपेटाइटिस B आदि। इन बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका समय पर वैक्सीन लगवाना है।

टीकाकरण का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है। यहाँ परिवारों और समुदायों में बच्चों की देखभाल एक सामूहिक जिम्मेदारी मानी जाती है। टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme – UIP) सरकार द्वारा चलाया जाता है ताकि हर बच्चे तक वैक्सीन पहुँच सके। यह कार्यक्रम गाँवों, कस्बों और शहरों में समान रूप से लागू होता है और सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ आंगनवाड़ी केंद्रों पर भी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।

भारतीय परिवारों के लिए प्रासंगिकता

अक्सर माता-पिता को यह चिंता रहती है कि उनका बच्चा स्वस्थ रहे और किसी गंभीर बीमारी का शिकार न हो। समय पर टीके लगवाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे वे स्कूल जाने, खेलने-कूदने और रोजमर्रा की गतिविधियों में सक्रिय रह सकते हैं। इसके अलावा, यदि हर बच्चा टीका लगवाता है तो हर्ड इम्युनिटी भी बनती है जिससे पूरी कम्युनिटी सुरक्षित रहती है।

भारत में प्रमुख बाल टीकों की सूची
बीमारी वैक्सीन का नाम टीकाकरण समय
पोलियो ओपीवी/आईपीवी जन्म, 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह, बूस्टर 16-24 माह
टीबी (Tuberculosis) बीसीजी (BCG) जन्म के तुरंत बाद
हेपेटाइटिस B हेपेटाइटिस B वैक्सीन जन्म, 6 सप्ताह, 14 सप्ताह
डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस DPT वैक्सीन 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह, बूस्टर 16-24 माह और 5 वर्ष पर
खसरा (Measles) MR वैक्सीन (Measles-Rubella) 9-12 माह व 16-24 माह पर दूसरी डोज़
रोटावायरस डायरिया रोटावायरस वैक्सीन 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह

इस प्रकार, भारत में समय पर और उचित टीकाकरण बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाता है और समाज को स्वस्थ बनाता है। अगले हिस्से में हम विस्तार से जानेंगे कि जन्म से लेकर पाँच साल तक कब-कब कौन सा टीका लगना चाहिए।

2. जन्म के समय दिये जाने वाले टीके

भारत में बच्चे के जन्म के तुरंत बाद कुछ महत्वपूर्ण टीके लगाए जाते हैं ताकि शिशु को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। इन टीकों का उद्देश्य नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है। नीचे दी गई तालिका में बताया गया है कि कौन-कौन से टीके, कब और क्यों दिए जाते हैं।

जन्म के समय दिए जाने वाले मुख्य टीके

टीका कब दिया जाता है बीमारी से सुरक्षा नोट्स (भारतीय संदर्भ)
बीसीजी (BCG) जन्म के तुरंत बाद या 1 साल तक कभी भी (अधिकतर अस्पताल में ही) क्षयरोग (ट्यूबरकुलोसिस) से बचाव भारत में ट्यूबरकुलोसिस आम बीमारी है, इसलिए यह टीका अनिवार्य है
हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B – पहला डोज़) जन्म के 24 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी वायरस से बचाव माँ से बच्चे में संक्रमण रोकने के लिए जरूरी है
ओपीवी (OPV-0) – ओरल पोलियो वैक्सीन, जीरो डोज़ जन्म के तुरंत बाद या पहली स्वास्थ्य जांच के समय पोलियो वायरस से बचाव भारत में पोलियो उन्मूलन अभियान का हिस्सा, यह मौखिक ड्रॉप्स होती हैं

इन टीकों का महत्व भारतीय परिवारों के लिए

ये सभी टीके भारत सरकार की यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) के तहत मुफ्त में उपलब्ध कराए जाते हैं। सरकारी अस्पतालों और हेल्थ सेंटर्स पर आसानी से ये टीके लगवाए जा सकते हैं। हर माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ये सभी जरूरी टीके मिलें। इससे बच्चा स्वस्थ रहेगा और भविष्य में गंभीर बीमारियों से बचाव होगा।

छह हफ्ते से छह महीने के बीच के टीके

3. छह हफ्ते से छह महीने के बीच के टीके

भारत सरकार का Universal Immunization Programme (UIP) बच्चों की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। छह हफ्ते से लेकर छह महीने तक के बच्चों को कई महत्वपूर्ण टीके दिए जाते हैं ताकि उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। यहाँ ऐसे टीकों की सूची और विवरण दिया गया है जो बच्चों को छह हफ्ते, दस हफ्ते, और चौदह हफ्ते की आयु में दिए जाते हैं।

टीकाकरण अनुसूची (6 हफ्ते से 14 हफ्ते)

आयु टीका का नाम रोग से सुरक्षा
6 सप्ताह DTwP-1, IPV-1, Hib-1, HepB-2, OPV-1, Rotavirus-1, PCV-1 डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, पोलियो, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, हेपेटाइटिस B, रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकॉकल संक्रमण
10 सप्ताह DTwP-2, IPV-2, Hib-2, OPV-2, Rotavirus-2, PCV-2 उपरोक्त सभी बीमारियों से दूसरी डोज़ द्वारा सुरक्षा बढ़ाना
14 सप्ताह DTwP-3, IPV-3, Hib-3, HepB-3, OPV-3, Rotavirus-3, PCV-3 तीसरी डोज़ के साथ सुरक्षा को मजबूत करना

मुख्य टीकों का विवरण

DTwP (Diphtheria-Tetanus-Pertussis)

यह संयुक्त टीका डिप्थीरिया (गल घोंटू), टिटनेस (धनुस्तंभ) और काली खांसी से बचाता है। भारत में यह बहुत जरूरी टीका माना जाता है। इसे तीन बार 6वीं, 10वीं और 14वीं हफ्ते में दिया जाता है।

IPV (Inactivated Polio Vaccine) और OPV (Oral Polio Vaccine)

पोलियो एक गंभीर बीमारी है जो बच्चों को अपंग बना सकती है। इसलिए इंजेक्शन द्वारा IPV और मुँह की बूँद के रूप में OPV दोनों दी जाती हैं। इनकी तीन डोज़ दी जाती हैं।

Hib (Haemophilus influenzae type b)

यह बैक्टीरिया बच्चों में निमोनिया और मेनिन्जाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियाँ फैला सकता है। Hib टीका भी तीन बार दिया जाता है।

Hepatitis B Vaccine (HepB)

हेपेटाइटिस B लीवर की एक गंभीर बीमारी है। इसके लिए जन्म पर पहली डोज़ के बाद 6वें व 14वें हफ्ते में भी टीका लगाया जाता है।

Rotavirus Vaccine

रोटावायरस बच्चों में दस्त का प्रमुख कारण है। इस बीमारी से बचाव के लिए रोटावायरस वैक्सीन दी जाती है जो पेट के रास्ते बूँदों के रूप में दी जाती है।

Pneumococcal Conjugate Vaccine (PCV)

PCV न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया व अन्य संक्रमणों से बचाता है। यह भी छोटे बच्चों को तीन बार दिया जाता है।

ध्यान दें:

इन सभी टीकों का समय पर लगवाना बच्चे की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। यदि किसी कारणवश कोई डोज़ छूट जाए तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर डॉक्टर की सलाह लें। भारत सरकार की तरफ़ से ये सभी टीके मुफ़्त उपलब्ध कराए जाते हैं। बच्चा स्वस्थ रहे – यही सबकी जिम्मेदारी है!

4. नौ महीने से पन्द्रह महीने तक के टीके

इस भाग में हम उन टीकों की जानकारी साझा कर रहे हैं, जिन्हें शिशु के नौ महीने से पन्द्रह महीने की उम्र के बीच लगाया जाता है। भारत में इस समय अवधि के दौरान कुछ विशेष टीके बेहद जरूरी माने जाते हैं, जैसे खसरा-रूबेला (MR), जापानी इंसेफेलाइटिस और अन्य क्षेत्रीय महत्व के टीके। इन सभी का उद्देश्य बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाना है।

भारत में 9 से 15 महीनों के बीच दिए जाने वाले मुख्य टीके

टीका का नाम कब देना चाहिए किस बीमारी से बचाव विशेष नोट्स
खसरा-रूबेला (MR) 9-12 महीने की उम्र में पहली खुराक, 16-24 महीने में दूसरी खुराक खसरा और रूबेला दोनों से बचाव करता है सभी राज्यों में अनिवार्य
जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) 9-12 महीने में पहली खुराक, 16-24 महीने में दूसरी खुराक जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से सुरक्षा पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि कुछ क्षेत्रों में आवश्यक
न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV) 9 महीने पर बूस्टर डोज़ न्यूमोकोकल संक्रमण से सुरक्षा कुछ राज्यों में उपलब्ध, डॉक्टर की सलाह आवश्यक
मेनेन्जाइटिस वैक्सीन (MenACWY) 9-12 महीने पर एक खुराक (कुछ क्षेत्रों में) मेनिन्जाइटिस से बचाव जोखिम वाले क्षेत्रों में दिया जाता है
हेपेटाइटिस-A वैक्सीन 12 महीने के बाद दो डोज़ (6 महीने के अंतराल पर) हेपेटाइटिस-A वायरस से सुरक्षा कुछ निजी अस्पतालों में उपलब्ध है

क्षेत्रीय महत्व वाले टीके

भारत के कुछ राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल में जापानी इंसेफेलाइटिस का खतरा अधिक होता है, इसलिए वहां यह टीका अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। इसके अलावा, अगर आपके क्षेत्र में किसी विशेष बीमारी का प्रकोप है तो डॉक्टर की सलाह लेकर अतिरिक्त टीके भी लगवाए जा सकते हैं।

टीकाकरण करवाते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
  • हर टीके का समय और डोज़ याद रखें। अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर से जानकारी लें।
  • अगर बच्चे को बुखार या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या हो तो पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • टीका लगने के बाद बच्चे को हल्का बुखार या सूजन होना सामान्य है। अगर कोई गंभीर प्रतिक्रिया दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

भारत सरकार द्वारा समय-समय पर मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें ये सभी जरूरी टीके शामिल होते हैं। अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए सभी निर्धारित टीके समय पर अवश्य लगवाएं।

5. अतिरिक्त (बूस्टर) टीके और पाँच वर्ष तक की निगरानी

बूस्टर डोज़ क्या है?

बूस्टर डोज़ वे टीके होते हैं जिन्हें मुख्य टीकाकरण के बाद, बच्चों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिए दिया जाता है। भारत में यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे, बूस्टर डोज़ बहुत महत्वपूर्ण हैं।

आम बूस्टर और वैकल्पिक टीके

टीका उम्र क्यों जरूरी है?
DPT बूस्टर-1 16-24 महीने डिप्थीरिया, काली खांसी और टिटनेस से सुरक्षा बनाए रखना
OPV बूस्टर 16-24 महीने पोलियो से बचाव को मजबूत करना
MMR-2 (Measles, Mumps, Rubella) 16-24 महीने खसरा, मम्प्स और रूबेला से बेहतर सुरक्षा
DPT बूस्टर-2 5 साल स्कूल शुरू होने से पहले अतिरिक्त सुरक्षा देना
Td (टेटनस और डिप्थीरिया) 10 साल, 16 साल (स्कूल में) लंबी अवधि तक टेटनस और डिप्थीरिया से बचाव
रोटावायरस वैक्सीन (वैकल्पिक) 6 हफ्ते, 10 हफ्ते, 14 हफ्ते डायरिया/दस्त से बचाव के लिए प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध है
Pentavalent वैक्सीन (सरकारी कार्यक्रम में शामिल) 6, 10, 14 हफ्ते; DPT बूस्टर पर भी दी जाती है 5 बीमारियों (DPT + Hib + Hepatitis B) से एक साथ सुरक्षा देती है

सरकारी सलाहें और माता-पिता के सामान्य सवाल:

क्या हर बच्चा सभी वैकल्पिक टीके ले सकता है?

सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मुख्य टीकों का ध्यान रखा जाता है। अन्य जैसे रोटावायरस या PCV (प्न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध हैं। डॉक्टर से सलाह लेकर ही ये टीके लगवाएं।

बूस्टर डोज़ छूट जाए तो क्या करें?

यदि कोई डोज़ छूट जाए तो जल्द से जल्द अपने नजदीकी हेल्थ सेंटर जाकर बच्चे का टीकाकरण पूरा करवा लें। देरी होने पर भी टीके लगाए जा सकते हैं। कोई नुकसान नहीं है।

सरकार किन-किन बीमारियों के लिए मुफ्त टीके देती है?

भारत सरकार द्वारा BCG, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, DPT, Hib, मीजल्स-रूबेला इत्यादि मुफ्त दिए जाते हैं। कुछ राज्य विशेष योजनाओं के तहत अन्य वैक्सीन भी मुफ्त प्रदान करते हैं।

कहाँ-कहाँ टीकाकरण करवा सकते हैं?

आप अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), आंगनवाड़ी केंद्र या मान्यता प्राप्त प्राइवेट क्लिनिक में भी टीकाकरण करा सकते हैं।