दस्त और उल्टी: बच्चों को राहत दिलाने के घरेलू तरीके

दस्त और उल्टी: बच्चों को राहत दिलाने के घरेलू तरीके

विषय सूची

समस्या की पहचान: दस्त और उल्टी के लक्षण

बच्चों में दस्त (डायरीया) और उल्टी बहुत आम समस्याएँ हैं, जो अक्सर बदलते मौसम, खाने-पीने की गड़बड़ी या संक्रमण के कारण होती हैं। इनकी पहचान करना माता-पिता के लिए जरूरी है ताकि सही समय पर उपचार किया जा सके।

दस्त और उल्टी के सामान्य लक्षण

लक्षण कैसे पहचानें?
बार-बार पतला मल आना दिन में 3 या उससे अधिक बार पानी जैसा या ढीला मल होना
उल्टी आना खाने या पीने के तुरंत बाद मुंह से खाना बाहर निकलना या पेट में मरोड़ के साथ उल्टी होना
कमज़ोरी या थकान बच्चा सुस्त दिखाई देना, खेलने में रुचि कम होना
प्यास बढ़ जाना अक्सर पानी मांगना या होंठ सूखे दिखना
मूत्र कम आना नॉर्मल से कम पेशाब आना या डायपर लंबे समय तक सूखा रहना
तेज बुखार शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होना (38°C/100.4°F या उससे ज्यादा)
आँखों का धँस जाना चेहरे पर थकावट दिखना और आँखें अंदर की तरफ चली जाना

दस्त और उल्टी के संभावित कारण

  • वायरल इंफेक्शन: जैसे रोटावायरस, जो बच्चों में सबसे आम कारण है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण: दूषित पानी या भोजन से होने वाले रोगाणु, जैसे ई. कोलाई या साल्मोनेला।
  • फूड पॉइजनिंग: बासी या खुले में रखा खाना खाने से।
  • एलर्जी: दूध, अंडा या अन्य खाद्य पदार्थों से एलर्जी भी दस्त का कारण बन सकती है।
  • पेट का इंफ्लेमेशन: जठरांत्र संबंधी समस्याएँ जैसे गैस्ट्रोएन्टेराइटिस।
  • अत्यधिक मीठा या तैलीय खाना: छोटे बच्चों का पाचन कमजोर होता है, जिससे पेट खराब हो सकता है।

गंभीरता को कैसे समझें?

अगर बच्चा लगातार दस्त और उल्टी कर रहा है, बहुत कमजोर महसूस कर रहा है, उसे तेज बुखार है या उसके शरीर में डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) के लक्षण दिख रहे हैं, तो यह गंभीर स्थिति हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। निम्नलिखित संकेतों पर विशेष ध्यान दें:

गंभीरता के संकेत (Warning Signs)

  • बहुत तेज़ प्यास लगना लेकिन पीते ही उल्टी हो जाना
  • लगातार सुस्ती रहना या बेहोशी आना
  • मुँह और जीभ बहुत ज़्यादा सूखी लगना
  • पेशाब बिल्कुल न आना या बहुत कम आना (6 घंटे से ज्यादा डायपर सूखा रहना)
  • खून वाली दस्त या काली रंग की दस्त होना
  • तेज बुखार (39°C/102.2°F से ऊपर)
  • आँखों का धँस जाना और त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ जाना (डिहाइड्रेशन के लक्षण)

बच्चों में दस्त और उल्टी को नजरअंदाज न करें, समय रहते इनके लक्षण और कारण पहचानकर उचित देखभाल करना बहुत जरूरी है। इससे बच्चे को जल्दी राहत मिल सकती है और जटिलताओं से बचा जा सकता है।

2. घर पर प्राथमिक देखभाल के उपाय

जब बच्चों को दस्त और उल्टी होती है, तो माता-पिता को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। कई बार घर में ही कुछ आसान और असरदार घरेलू उपायों से बच्चों को राहत दी जा सकती है। नीचे दिए गए सुझाव भारतीय परिवारों में आमतौर पर आज़माए जाते हैं और माँओं द्वारा पीढ़ियों से अपनाए जाते रहे हैं।

ओआरएस (ORS) घोल का महत्व

दस्त और उल्टी से बच्चों के शरीर में पानी और जरूरी लवण की कमी हो जाती है, जिसे डिहाइड्रेशन कहते हैं। इसे रोकने के लिए ओआरएस (ORS) घोल सबसे सुरक्षित और असरदार तरीका है। ओआरएस का घोल बाजार में आसानी से उपलब्ध है, या आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। बच्चों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार ORS पिलाएं।

घर पर ORS घोल कैसे बनाएं:

सामग्री मात्रा
साफ पानी 1 लीटर (4 गिलास)
चीनी 6 चम्मच
नमक 1/2 चम्मच

इन तीनों को अच्छे से मिला लें और बच्चे को हर थोड़ी देर में पिलाते रहें।

नारियल पानी: प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स का स्रोत

नारियल पानी भारत के कई हिस्सों में आसानी से उपलब्ध होता है और यह शरीर को जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स देता है। यदि बच्चा ORS नहीं पी रहा हो, तो उसे नारियल पानी दें। यह हल्का, स्वादिष्ट और पेट के लिए आरामदायक होता है।

दही-चावल: हल्का भोजन जो पेट को सुकून दे

बच्चे की भूख लगने पर भारी या तला-भुना खाना न दें। दही-चावल, मूंग दाल की खिचड़ी या उबला हुआ आलू जैसे हल्के भोजन बेहतर होते हैं। दही पेट की जलन कम करने में मदद करता है और पेट के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है। नीचे एक आसान तालिका दी गई है:

भोजन का नाम फायदा
दही-चावल पेट ठंडा रखता है, डाइजेशन सुधारता है
मूंग दाल खिचड़ी हल्का, आसानी से पचने वाला भोजन
उबला आलू ऊर्जा देता है, पेट पर कम भार डालता है

माँ की सलाह: निगरानी रखें और प्यार से देखभाल करें

सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चे की हालत पर लगातार नजर रखें। अगर बच्चा सुस्त लग रहा हो, पेशाब कम कर रहा हो या मुंह सूखा हो जाए तो डॉक्टर से संपर्क करें। ध्यान रहे कि बच्चों को जबरदस्ती खाना या पीना न दें; छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ी मात्रा में तरल देते रहें। माँ का प्यार और धैर्य सबसे बड़ी दवा होती है, इसलिए घबराने की बजाय शांत रहकर बच्चे की देखभाल करें।

भोजन और जल सेवन में सावधानियां

3. भोजन और जल सेवन में सावधानियां

क्या खिलाएं और क्या न खिलाएं?

जब बच्चों को दस्त और उल्टी होती है, तब उनके खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिए गए टेबल में बताया गया है कि बच्चों को इस समय क्या देना चाहिए और किन चीज़ों से बचना चाहिए:

क्या खिलाएं क्या न खिलाएं
चावल का पानी (चावल का माड़) तेल-मसालेदार खाना
दही (प्रोबायोटिक के लिए) जंक फूड या फास्ट फूड
उबला हुआ आलू कच्ची सब्जियाँ
सादा खिचड़ी मीठे या बहुत नमकीन स्नैक्स
केला, सेब की चटनी फिजी ड्रिंक्स और पैक्ड जूस
ओआरएस घोल या नारियल पानी गाढ़ा दूध और भारी डेयरी उत्पाद

हल्का भोजन दें

इस दौरान बच्चों को हल्का, आसानी से पचने वाला भोजन देना सबसे अच्छा होता है। जैसे कि सादी खिचड़ी, दलिया, उबली हुई सब्ज़ियाँ, सूप आदि। मसाले कम मात्रा में रखें और खाने को ज़्यादा गरम या ठंडा न दें। अगर बच्चा छोटे हैं तो सॉलिड फूड्स धीरे-धीरे शुरू करें।

बार-बार पानी पिलाना जरूरी है

दस्त और उल्टी में शरीर से पानी बहुत जल्दी निकलता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसलिए बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में पानी, ओआरएस घोल, नारियल पानी या घर पर बना नींबू-पानी देते रहें। हर बार उल्टी या दस्त के बाद थोड़ा सा तरल जरूर दें। अगर बच्चा दूध पीता है तो ब्रेस्टफीडिंग जारी रखें।

भारतीय मसालों और सुरक्षा का ध्यान रखें

भारतीय घरों में कुछ मसालों का इस्तेमाल दस्त व उल्टी में राहत के लिए किया जाता है, जैसे जीरा पानी या सौंफ का काढ़ा, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को न दें। अगर आप घरेलू उपाय कर रहे हैं तो मात्रा बहुत कम रखें और बच्चे की उम्र व उनकी सहनशीलता का भी ध्यान रखें। मसालेदार या तीखे पदार्थ पूरी तरह से अवॉयड करें। अगर बच्चा कोई नया लक्षण दिखाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

4. कैसे बचाव करें और रोकथाम करें

स्वच्छता का महत्व

दस्त और उल्टी बच्चों में आम समस्या है, खासकर भारत जैसे देश में जहां मौसम गर्म और नमी भरा रहता है। स्वच्छता बनाए रखना सबसे जरूरी है। घर के सभी हिस्सों को साफ रखें, खासतौर पर रसोई और शौचालय। बच्चों के खिलौनों, बोतलों और खाने के बर्तनों को रोज अच्छे से धोएं।

हाथ धोने की पारंपरिक भारतीय विधियां

बच्चों और परिवार के हर सदस्य को बार-बार हाथ धोना सिखाएं, खासकर खाने से पहले और टॉयलेट जाने के बाद। भारत में सदियों से राख या मिट्टी से भी हाथ धोने की परंपरा रही है, अगर साबुन न हो तो। लेकिन आजकल साबुन या हैंडवॉश का इस्तेमाल अधिक सुरक्षित है।

कब हाथ धोना चाहिए? क्या इस्तेमाल करें?
खाना खाने से पहले साबुन/हैंडवॉश या पानी
टॉयलेट के बाद साबुन/हैंडवॉश या राख/मिट्टी (प्राचीन तरीका)
बाहर से आने पर साफ पानी और साबुन
दूध पिलाने या बच्चे को छूने से पहले साफ पानी और साबुन

संक्रमित भोजन व पानी से बचाव के तरीके

भोजन संबंधी सावधानियां

  • खाना हमेशा ताजा बनाएं और तुरंत खाएं। भारत में बाकी खाना दोबारा गर्म कर ही दें।
  • फल-सब्जियों को अच्छे से धोकर ही बच्चों को दें। नींबू पानी में थोड़ी देर भिगोना भी लाभकारी माना जाता है।
  • खाना ढककर रखें ताकि मक्खियाँ न बैठें। घर में जालीदार ढक्कन या पतला कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है।
  • दूध को उबालकर ही पिलाएं; कच्चा दूध कभी न दें।

पानी संबंधी सावधानियां

  • पानी हमेशा उबालकर ठंडा करके पिलाएं, विशेष रूप से छोटे बच्चों को। भारत में यह बहुत सामान्य घरेलू उपाय है।
  • बाजार का खुला पानी या गंदा पानी बिल्कुल न दें। RO फिल्टर या मिट्टी के घड़े का पानी भी अच्छा विकल्प है।
  • पानी के बर्तन ढककर रखें और रोज साफ करें। मिट्टी के घड़े (मटका) का प्रयोग ग्रामीण भारत में अब भी होता है, जो प्राकृतिक रूप से ठंडा रखता है।

स्वस्थ आदतें अपनाएं

  • बच्चों को सड़क किनारे मिलने वाले खुले खाद्य पदार्थ कम देने की कोशिश करें। घर का बना खाना सर्वोत्तम होता है।
  • परिवार में किसी को दस्त/उल्टी हो तो उनका तौलिया, बर्तन आदि अलग रखें, जिससे संक्रमण न फैले।
  • घर आए मेहमानों को भी हाथ धोने के लिए प्रेरित करें, खासतौर पर छोटे बच्चों के आसपास रहने वालों को।
  • घर की सफाई करते समय नीम की पत्तियों या हल्दी-पानी का छिड़काव पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है, जो जीवाणु रोधी होते हैं।

5. डॉक्टर से कब मिलें

जब बच्चों को दस्त और उल्टी होती है, तो कई बार घरेलू उपायों से राहत मिल जाती है। लेकिन कुछ ऐसे संकेत होते हैं, जब आपको बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बच्चों में डिहाइड्रेशन, कमजोरी या अन्य खतरे के लक्षण नजर आएं तो यह बहुत जरूरी है कि आप तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। नीचे एक सरल तालिका दी गई है जो आपको पहचानने में मदद करेगी कि कब डॉक्टर के पास जाना जरूरी है:

लक्षण क्या करें?
बार-बार उल्टी होना (हर 1-2 घंटे में) डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें
तीव्र डिहाइड्रेशन (मुंह सूखना, आँसू न आना, पेशाब कम आना) डॉक्टर को दिखाएं
बहुत ज्यादा सुस्ती या कमजोरी मेडिकल सहायता लें
बच्चे का होश खो देना या प्रतिक्रिया न देना इमरजेंसी में जाएं
खून वाली उल्टी या दस्त डॉक्टर से तुरंत मिलें
तेज बुखार (38.5°C से ऊपर) चिकित्सक की सलाह लें
3-4 दिन से ज्यादा समय तक दस्त/उल्टी रहना डॉक्टर को जरूर दिखाएं

ध्यान रखें: छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन जल्दी हो सकता है। अगर बच्चा दूध पीने से मना करे, बहुत रोये पर आँसू न आएं, या उसकी त्वचा ढीली लगे तो इसे हल्के में न लें और डॉक्टर से संपर्क करें। इसी तरह यदि बच्चा जन्म से 6 महीने का है और उसे दस्त या उल्टी हो रही है, तो यह अधिक गंभीर हो सकता है। माता-पिता को अपने बच्चे की स्थिति पर लगातार नजर रखनी चाहिए और उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।