1. बुखार क्या है और यह बच्चों में कैसे पहचानें
बुखार के सामान्य लक्षण
बुखार (Fever) शरीर का वह हाल है जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। बच्चों में बुखार की पहचान करना जरूरी है, क्योंकि कई बार छोटे बच्चे खुद नहीं बता पाते कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है। भारत में माताएँ आमतौर पर निम्नलिखित लक्षणों से बुखार की पहचान करती हैं:
लक्षण | विवरण |
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शरीर गर्म लगना | बच्चे के माथे या गर्दन को छूने पर गर्माहट महसूस होना |
बेचैनी या चिड़चिड़ापन | बच्चा सामान्य से ज्यादा रोना या परेशान दिखना |
कमजोरी या सुस्ती | खेलने या खाने में रुचि कम होना, बार-बार लेटना चाहना |
पसीना आना या ठंड लगना | कभी-कभी बच्चे को पसीना आता है या उसे सिहरन महसूस होती है |
चेहरा लाल होना | चेहरे पर हल्की लालिमा आ जाना |
भूख में कमी | खाने-पीने में मन न लगना |
शरीर के तापमान का माप (Temperature Measurement)
भारत में पारंपरिक रूप से माताएँ माथा छूकर बुखार पहचानती हैं, लेकिन सही जानकारी के लिए थर्मामीटर का उपयोग करना सबसे बेहतर तरीका है। सामान्यतः बच्चों का शरीर तापमान 36.5°C से 37.5°C (97.7°F से 99.5°F) तक रहता है। अगर तापमान 38°C (100.4°F) या उससे अधिक हो, तो इसे बुखार माना जाता है। थर्मामीटर से तापमान मापने के तरीके:
मापने का स्थान | तरीका |
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मुँह (Oral) | बड़े बच्चों के लिए उपयुक्त, थर्मामीटर को जीभ के नीचे रखें। |
बगल (Axillary) | छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित, थर्मामीटर को बगल में रखें। |
गुदा (Rectal) | बहुत छोटे शिशुओं के लिए डॉक्टर की सलाह पर उपयोग करें। |
भारत में माताओं द्वारा बुखार को पहचानने के पारंपरिक तरीके
ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में भारतीय माताएँ कई घरेलू तरीकों से भी बुखार की पहचान करती हैं:
- माथा छूकर देखना: हाथ से माथे की गर्मी महसूस करना सबसे आम तरीका है।
- चेहरे की रंगत देखना: बच्चा लाल या पीला दिखे तो माँ सतर्क हो जाती हैं।
- व्यवहार में बदलाव: यदि बच्चा खेलना बंद कर दे या हर समय गोदी माँगे, तो माँ समझ जाती हैं कि कुछ गड़बड़ है।
- शरीर पर पसीना या कंपकंपी: अचानक पसीना आना या ठंड लगना भी बुखार का संकेत माना जाता है।
- आँखों और होंठों की जाँच: आँखें भारी लगती हैं या होंठ सूखे दिखें तो भी माताएँ सतर्क हो जाती हैं।
याद रखें: यदि बच्चा बहुत सुस्त हो जाए, साँस लेने में दिक्कत हो, लगातार उल्टी करे या दौरे पड़ें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
2. बच्चों में बुखार के आम कारण
भारत में बच्चों को बुखार होना बहुत आम बात है। अक्सर माता-पिता चिंता में आ जाते हैं कि उनके बच्चे को बार-बार बुखार क्यों हो रहा है। बुखार अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह शरीर का किसी संक्रमण या बीमारी से लड़ने का तरीका है। नीचे भारत में बच्चों में बुखार के प्रमुख कारणों को सरल भाषा में समझाया गया है:
वायरल संक्रमण (Viral Infection)
सबसे ज्यादा बच्चों को वायरल संक्रमण की वजह से बुखार होता है। इसमें सर्दी, खांसी, फ्लू और अन्य सामान्य वायरस शामिल हैं। यह संक्रमण आसानी से एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैल सकता है, खासकर स्कूल या प्लेग्रुप में।
खांसी-जुकाम (Cold & Cough)
मौसम बदलते ही बच्चों को खांसी-जुकाम होना आम है। इससे भी बुखार आ सकता है क्योंकि शरीर संक्रमण से लड़ रहा होता है। बच्चों का इम्यून सिस्टम अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसलिए वे जल्दी संक्रमित हो जाते हैं।
डेंगू और मलेरिया
मानसून के मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। ये बीमारियाँ मच्छरों के काटने से होती हैं और इनमें तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द जैसे लक्षण होते हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए मच्छरदानी और साफ-सफाई जरूरी है।
मौसमी बीमारियाँ (Seasonal Diseases)
गर्मी, बारिश या सर्दी के मौसम में कई बार मौसमी बीमारियाँ भी बच्चों को अपनी चपेट में ले लेती हैं। मौसम बदलने पर शरीर को एडजस्ट करने में समय लगता है, जिससे बच्चों को बुखार आ सकता है।
बच्चों में बुखार के प्रमुख कारण – सारणी
कारण | कैसे प्रभावित करता है? |
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वायरल संक्रमण | तेज बुखार, गला खराब, थकावट |
खांसी-जुकाम | हल्का बुखार, नाक बहना, छींक आना |
डेंगू | बहुत तेज बुखार, बदन दर्द, प्लेटलेट्स कम होना |
मलेरिया | ठंड लगना, पसीना आना, सिर दर्द |
मौसमी बीमारियाँ | हल्का या तेज बुखार, कमजोरी |
क्या करें?
यदि बच्चे को लगातार तेज बुखार रहे या डेंगू-मलेरिया जैसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। अधिकतर मामलों में वायरल या साधारण संक्रमण खुद ही ठीक हो जाता है लेकिन ध्यान रखना बहुत जरूरी है। माता-पिता को बच्चों की साफ-सफाई, पानी पीने की मात्रा और पोषण पर खास ध्यान देना चाहिए।
3. कब डॉक्टर से संपर्क करें
बच्चों में बुखार आम बात है, लेकिन कुछ स्थितियों में माता-पिता को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कभी-कभी बुखार के साथ ऐसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं जो गंभीर समस्या की ओर संकेत करते हैं। नीचे उन मुख्य संकेतों और कारणों की जानकारी दी गई है जिनमें डॉक्टर से मिलना जरूरी होता है।
बुखार के गंभीर संकेत
संकेत | क्या करना चाहिए |
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बुखार 102°F (39°C) से अधिक हो और 2 दिन से ज्यादा रहे | डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें |
बार-बार उल्टी या बच्चा कुछ भी नहीं खा-पी रहा | निर्जलीकरण से बचाव के लिए मेडिकल सलाह लें |
दौरे (फिट्स) आना या शरीर झटके खाना | इमरजेंसी हेल्प लें, यह चिकित्सा आपातकाल हो सकता है |
सांस लेने में तकलीफ, बहुत तेज सांसें चलना या हांफना | तुरंत अस्पताल जाएं |
बच्चे का बहुत सुस्त या बेहोश रहना | तुरंत डॉक्टर को दिखाएं |
टीकाकरण और बुखार
अक्सर बच्चों को टीका लगवाने के बाद हल्का बुखार हो जाता है, जो सामान्य है। लेकिन अगर बुखार बहुत तेज हो, बच्चे को दौरे आएं या अन्य कोई गंभीर लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से जरूर मिलें। टीकाकरण के बाद आराम देने के लिए बच्चे को पर्याप्त तरल पदार्थ दें और उसे हल्के कपड़े पहनाएं।
बार-बार उल्टी या निर्जलीकरण के लक्षण
अगर बच्चा बार-बार उल्टी कर रहा है और पानी पीने पर भी उल्टी हो जाती है, तो यह निर्जलीकरण (dehydration) का संकेत हो सकता है। निर्जलीकरण की स्थिति में निम्न लक्षण दिख सकते हैं:
लक्षण | क्या करें? |
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मुँह सूखा होना या आँसू न आना | ओआरएस घोल दें और डॉक्टर से मिलें |
पेशाब कम आना या बिलकुल न आना | मेडिकल सलाह लें, अस्पताल जाने की जरूरत हो सकती है |
बहुत कमजोर महसूस करना या चक्कर आना | जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाएं |
महत्वपूर्ण सुझाव:
- घर पर इलाज करते समय बच्चे पर लगातार नजर रखें।
- अगर कोई गंभीर लक्षण दिखे तो खुद दवा देने की बजाय डॉक्टर से ही परामर्श लें।
4. घरेलू उपचार और पारंपरिक उपाय
भारत में जब बच्चों को बुखार होता है, तो अधिकतर माताएँ सबसे पहले घरेलू और देसी नुस्खों का सहारा लेती हैं। ये उपाय वर्षों से हमारी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं और आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख घरेलू उपचार दिए गए हैं:
तुलसी का काढ़ा
तुलसी के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। 5-6 तुलसी के पत्ते लें, पानी में उबालें, उसमें थोड़ा सा अदरक और शहद मिला सकते हैं। यह काढ़ा बच्चों को दिन में दो बार दिया जा सकता है (ध्यान रखें कि एक साल से छोटे बच्चों को शहद न दें)।
ठंडी पट्टी (Cold Compress)
गर्म कपड़े या तौलिये को ठंडे पानी में भिगोकर बच्चे के माथे, गर्दन और बाँहों पर रखें। इससे शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम होता है और बच्चा आराम महसूस करता है। ध्यान रखें कि पानी बहुत ठंडा न हो, सामान्य तापमान का ही उपयोग करें।
हाइड्रेशन (पानी और तरल पदार्थ)
बुखार के दौरान बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए उसे बार-बार पानी, नारियल पानी, छाछ या सादा दाल का पानी पिलाते रहें। इससे शरीर हाइड्रेट रहेगा और रिकवरी तेज होगी।
सहज एवं सुरक्षित घरेलू आदतें
- हल्का भोजन दें: बुखार के समय बच्चे को भारी या मसालेदार खाना न दें। खिचड़ी, दलीया, मूंग की दाल आदि हल्के भोजन उपयुक्त हैं।
- अधिक विश्राम: बच्चे को पर्याप्त आराम करने दें ताकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सके।
- हल्के कपड़े पहनाएँ: बहुत गर्म या सिंथेटिक कपड़े न पहनाएँ, सूती कपड़े सबसे बेहतर रहते हैं।
- कमरे का तापमान नियंत्रित रखें: कमरे में हवा आती-जाती रहे, लेकिन सीधा पंखा या ए.सी. न चलाएँ।
घरेलू उपायों की सारणी
उपाय | कैसे करें? | क्या ध्यान रखें? |
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तुलसी का काढ़ा | 5-6 तुलसी के पत्ते, थोड़ा अदरक, पानी में उबालें | शहद 1 साल से छोटे बच्चों को न दें |
ठंडी पट्टी | माथे व गर्दन पर हल्की ठंडी पट्टी रखें | बहुत ठंडा पानी न इस्तेमाल करें |
हाइड्रेशन | पानी, नारियल पानी, छाछ आदि दें | बार-बार थोड़ी मात्रा में दें |
हल्का खाना/आराम | खिचड़ी, दलिया, मूंग की दाल खिलाएँ; आराम कराएँ | भारी व तैलीय भोजन न दें |
नोट:
अगर बुखार तीन दिनों से ज्यादा बना रहे या बच्चे में उल्टी, दौरे या बेहोशी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। घरेलू उपचार केवल शुरुआती मदद के लिए हैं। विशेषज्ञ सलाह अवश्य लें।
5. बुखार वाले बच्चों की देखभाल में भारतीय माताओं के लिए सुझाव
बुखार के दौरान बच्चे की डाइट
बुखार होने पर बच्चों को हल्का, सुपाच्य और पौष्टिक भोजन देना चाहिए। भारतीय घरों में दादी-नानी के नुस्खे जैसे खिचड़ी, दाल का पानी, सूप और नारियल पानी बहुत लाभकारी होते हैं। छोटे बच्चों को बार-बार दूध या मां का दूध पिलाते रहें। नीचे दिए गए टेबल में आप कुछ आसान भोजन विकल्प देख सकती हैं:
भोजन | कैसे मदद करता है |
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खिचड़ी | हल्की, सुपाच्य और पेट के लिए आरामदायक |
दाल का पानी | ऊर्जा और प्रोटीन देता है |
फल (जैसे केला, सेब) | विटामिन और मिनरल्स प्रदान करता है |
नारियल पानी | शरीर को हाइड्रेटेड रखता है |
विश्राम (Rest) का महत्व
भारतीय परिवारों में अक्सर यह माना जाता है कि बच्चे को पूरी तरह विश्राम मिलना चाहिए। उसे शोर-शराबे से दूर रखें और सोने या लेटने दें। अधिक खेलने या भागने से बचाएं ताकि शरीर जल्दी स्वस्थ हो सके।
स्वच्छता बनाए रखना
बुखार के समय बच्चे की सफाई पर विशेष ध्यान दें। उसके हाथ-पैर साफ रखें, नाखून काटें और चेहरे को गीले कपड़े से पोंछते रहें। बीमार बच्चे के कपड़े और तौलिया अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले।
कपड़े बदलना
भारतीय मौसम को ध्यान में रखते हुए हल्के सूती कपड़े पहनाएं। बच्चा पसीना आए तो तुरंत कपड़े बदलें। बहुत ज्यादा गर्म या सिंथेटिक कपड़े न पहनाएं, ताकि शरीर का तापमान नियंत्रित रहे।
परिवार की देखरेख
घर के सभी सदस्यों को स्वच्छता का पालन करना चाहिए। बीमार बच्चे के साथ ज्यादा समय बिताने वाले लोगों को हाथ धोते रहना चाहिए। बुजुर्ग महिलाओं की सलाह मानें लेकिन डॉक्टर से सलाह लेने में देर न करें। यदि बुखार 2-3 दिन में कम न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।